मुक्तक
मुक्तक
ग़म को सिलबट्टे में, पीसता रहूंगा।
रब का दिया हुनर है, लिखता रहूंगा।।
डर है नहीं मुझको, मौत से 'साहिल'।
आंखें मिला, वक्त से लड़ता रहूंगा।।
ग़म को सिलबट्टे में, पीसता रहूंगा।
रब का दिया हुनर है, लिखता रहूंगा।।
डर है नहीं मुझको, मौत से 'साहिल'।
आंखें मिला, वक्त से लड़ता रहूंगा।।