मुखौटों की दुनिया
मुखौटों की दुनिया
यह मुखौटों की दुनिया है, जहाँ चेहरे के ऊपर चेहरा हैं,
जो असल रंगों और वास्तविकता को छिपाता हैं।
बाहर से सादगी है, संत का चेहरा हैं ,
लेकिन अंदर से व्यभिचारी और बलात्कारी हैं।
कोई भोला, कोई चालाक, कोई सच्चा और कोई झूठा,
मुखौटों की इस दुनिया में हर कोई दिखाता है चेहरा नया।
कितने भोले-भाले चेहरे हैं, मासूम आँखों में दो गुनी नीर,
पर जब चुपके से मुखौटा उठ जाता है, तो वो असली रूप आता ।
दुःखों के आँसू पोंछता हैं, संत का विचार और संवेदना,
लेकिन असली चेहरा छिपा हैं, जिसमें व्यभिचार और बलात्कार की सीढ़ियां।
यहाँ लोग छिपे हुए हैं, खुद को दिखाते हैं मास्क के पीछे,
सुंदरता की माया से लिपटे, पर हकीकत में विकृतियों के पीछे।
जो दूसरों के दुखों को सहानुभूति से छूता है,
पर मन ही मन खुश होता है, अपनी खुशियों का गीत गाता है।
सादगी के पीछे छिपा हैं, नीचता, कपट और दुष्कर्म,
यह मुखौटों की दुनिया है, चेहरे के ऊपर चेहरा हैं।
हमेशा सत्यता की पहचान रखें, अच्छाई का आदर करें ,
सत्यता की भावना हृदय में बसी रहे, जो देती है आत्मा को शांति।
यह मुखौटों की दुनिया है, चेहरे के ऊपर चेहरे हैं,
हकीकत छुपी है इन पुराने रंगों के पीछे, जो असली व्यक्तित्व से भी ढके हैं।
क्या सच्चाई छुपी है मुखौटों के पीछे? क्या सभी मिट्टी के वर्ण में भरे हैं?
या यह दुनिया खुद को छिपाती है, असली चेहरे को छुपाकर भरे हैं।
हकीकत तो वही होती है, जो दिल से प्रकट होती है,
चेहरे की झलक से अधिक, आँखों की रौशनी से प्रकट होती है।
यह मुखौटों की दुनिया है, चेहरे के ऊपर चेरा है,
जिसमें व्यभिचारी और बलात्कारी की छाया समाई है।
यह मुखौटों की दुनिया है, जहाँ चेहरे के ऊपर चेरा है,
हमेशा सत्य की रोशनी में चलें, चेहरे की मुखौटा उठा दें।
