मुझको सूना सूनालग रहा है
मुझको सूना सूनालग रहा है
मुझे कुछ आज अजीब सा लग रहा है
कैसे कहें मुझको सूना सूना लग रहा है
मुझे कुछ...........
क्या हुआ ऐसा तुम्हें एक पल में
जो दूर हुए जा रहे हो इस पल में
जान के भी तुम अनजान कर रहे हो
फिर तो मुझे आज खालीपन सा लग रहा है
मुझे कुछ.............
उनसे हम कैसे बिछड़ पायेंगे
जो वो न मिले तो हम मर जायेंगे
जिंदगी तेरे हवाले मैंने कर दी है
तू जो नहीं तो सब अजनबी लग रहा है
मुझे कुछ..................
कैसे भूले तेरी बातों को
तेरी उन महकती हुई सांसों को
हैं किए तूने मुझ पे जो सितम
उनसे मेरा दिल भारी - भारी लग रहा है
मुझे कुछ................