मुझें बस इतना सा प्रेम चाहिए..........
मुझें बस इतना सा प्रेम चाहिए..........
मुझे बस इतना सा प्रेम चाहिए
की जब निराश रहो तुम
तो तुम्हारी मुस्कुराहट को
वापिस ला सकूँ....
मुझे बस इतना सा प्रेम चाहिए
की जब ग़म की सिलवटों में
धंसने लगो तुम तो..ख़ुशियों
की पर्वतों पर
तुम्हें खींच कर ला सकूँ
मुझे बस इतना सा प्रेम चाहिए
की जब तुम रहो गुस्से में चूर तो
काँच का वो कप जमीं पर
गिरा कर फोड़ने के लिए
तुम्हें दे सकूँ....
मुझे बस इतना सा प्रेम चाहिए
की चाँदनी रात में तुम्हारे चेहरे पर
बिछी मासूमियत को
निहार सकूँ...और ओस की
उन बूँदों को समेट कर
तुम्हें एक खूबसूरत सुबह की
चाय दूँ....
मुझे बस इतना सा प्रेम चाहिए।