मुझे उजाले छूने हैं!
मुझे उजाले छूने हैं!
मुझे उजाले छूने हैं
वो जो दीए की पेंदी
तले सदियों से कैद हैं
वो जो पत्थर की बेडौल
खुरदरी काया में मौन हैं
वो जो नदियों के अनायास
शोर में ज़ब्त हैं
वो जो निर्बाध झरने
की पीड़ा में मुखर हैं
और मुझे छूने हैं
कुछ वो उजाले भी
जो 'उसके' अनगिनत
स्वप्नों की लाश पर
रह-रह कर चमक उठे हैं
धकेल देने को 'उसे'
एक चिपचिपे अंधेरे में।