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Kusum Joshi

Romance

5.0  

Kusum Joshi

Romance

मुझे मेरी पहचान दिला दो

मुझे मेरी पहचान दिला दो

1 min
521


कुछ अलग हैं भाव मेरे,

कुछ अलग व्यवहार हैं,

कुछ अलग है रूप तुमसे,

कुछ अलग सत्कार हैं,


मेरी हस्ती नहीं तेरी तरह ,

कि कुछ अलग जीवन मिला,

कुछ कमी बेशक भले,

ये दिल तो तेरे जैसा मिला,


मुझमें भी हैं भावना,

कुछ प्यार की मिठास है,

रिश्ते बनाने की कशिश है,

सब वही एहसास हैं,


पर चाहती ना दान मैं,

कभी प्यार के एहसान का,

मैं चाहती मुझको मिले,

दर्जा एक इंसान का,


दिव्यांग, अक्षम या अपाहिज,

जो चाहे मुझे तुम नाम दो,

लेकिन दया नहीं चाहिए,

मुझको मेरी पहचान दो,


बेचारी या कमजोर समझ,

मेरा सहारा मत बनो,

मैं पतवार मेरी थाम लूंगी,

मेरा किनारा मत बनो,


बन सकते हो तो बनो,

साथी कोई इस राह में,

बनो जिंदगी की प्रेरणा,

हर धूप में या छांव में,


ना चाहती मैं देख मुझको,

रास्ते तुम छोड़ दो,

या सिर्फ मेरे ही लिए,

मुश्किल डगर को मोड़ दो,


मैं नहीं चाहती कि,

मेरी जिंदगी में बाधा ना हो,

या मुश्किलों से लड़ने का,

कोई जज़्बा या इरादा ना हो,


मैं राह के संघर्ष सारे,

पार करते जाऊंगी,

कुछ चंद कमियों की वजह से,

जीवन से ना घबराउंगी,


मैं उल्लास से जीवन में अपने,

मुक्त होकर उड़ सकूं,

मैं चाहती संसार जिसमें,

उन्मुक्त नभ से जुड़ सकूं,


दे सको तो एक ऐसा,

नव जगत संसार दो,

जिसमें किसी के भी प्रति,

ना भेद का व्यवहार हो,


अंग-रंग के भेद से,

ना बांट दो इंसान को,

मैं चाहती कुछ भी नहीं,

बस मुझको मेरी पहचान दो।


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