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P Anurag Puri

Romance

3.8  

P Anurag Puri

Romance

एक लड़की थी

एक लड़की थी

2 mins
561


एक लड़की थी

जो सिर्फ मेरे लिये ही तो बनी थी।

जो बात अंदर ही रेह जाते मेरे,

वो उन्हें जुवान पे सजा लेती,

ऐसा कुछ था हमारे बीच,

जो वो आँखों से भी बातें कर लेती।


सूझ बूझ में हमेशा,

मेरे साथ खड़ी रहती,

एक हाथ में कंगन,

दूजा हात में घड़ी पहन के,

मेरे करीब वो आती

मेरी कहानियों की,

एक नयी धून सी बन गयी थी,

वास पलके बिछाए,

उन कहानियों को अंजाम वो देती

उसे तो इस दुनिया की,

कभी परवाह ही न थी,


वस मेरा हर पल का साथ,

उसकी चाहत सी हो गयी थी

एक लड़की थी जो सिर्फ

मेरे लिये ही तो बनी थी।


मेरी कामयाबी पर,

वो अपना हक जताती,

और कमजोरी पर,

सहारा बनती


मैं दुःख में हूँ तो,

मेरे चेहेरे का मुस्कान वो होती,

हमेशा मेरे झूठ का

मुखौटा खोल कर,

सच्चाई को पहचान लेती,

सबके झूठ को वही पकड़ती,

लेकिन मेरे ही पंक्तियों को,

हमेशा अपना ही बताती

मैं कभी कुछ न कहूँ,

तो खुद ही परेशान हो जाती,

मेरे इतनी खामियों के बावजूद,

मेरी ही दोस्त बनी थी।।


एक लड़की थी जो सिर्फ

मेरे लिये ही तो बनी थी।

बेहद मजाक वो मुझसे करती थी,

पर खोने से भी डरती थी,


आखिर उसकी चाहत मेरी पसंद

और वो मेरी आदत सी बन गयी थी

मेरी लफ्जों से वो कहानियाँ लिखती

पर मेरी हर कविता उसी पे आके ठहरती।


मेरी दोस्ती उसके लिए

इतनी ही ख़ास सी थी कोई

कोहिनूर भी दे तो वो सौदा न करती

अगर छोटी सी लिस्ट बनाऊँ

अपनी ख्वाहिशों की


आखिर तो तुम ही हो

पर पहली भी तुम ही थी

मेरे सपनों को

वही हकीकत मानती थी


मुझे मुझसे ज्यादा

वही तो जानती थी

एक लड़की थी

जो सिर्फ मेरे लिये ही तो बनी थी।


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