जब फिर से हम मिले...(गीत)
जब फिर से हम मिले...(गीत)
अचानक उसी मोड़ पर
फिर मिले हम पुराना
कोई ग़म बहुत कम हुआ है
अभी भी उसी प्यार से देखा
उसने गुलाबी-गुलाबी सा मौसम हुआ है
लिए जा रही थी हवा दूर तन्हा
मिला चांद बादल को महफ़िल मिली है
कहीं तुम भी ठहरे कहीं हम भी ठहरे
मगर आज मिल के ही मंजिल मिली है
छुपाया तो दिल के परिंदों ने सच को
मगर छुप सका कब है पानी परों से
मेरी सिसकियों ने तेरी सिसकियों से
कहा बिन तुम्हारे रहे पत्थरों से
मेरी उँगलियों को यूँ छूना
तुम्हारा मेरे जख्मों पे जैसे मरहम हुआ है
अभी भी उसी प्यार से देखा
उसने गुलाबी-गुलाबी सा मौसम हुआ है
मिले जब नहीं थे तो सोचा था मिलकर
करेंगे बहुत उनसे शिकवा शिकायत
मगर सुबह से शाम होने को आई
लबों के कोई भी खुले ही नहीं ख़त
उठा ख़ुद पकड़कर उन्हें भी उठाया
तभी बिजली कड़की वो चीखे चिपककर
मुलाकात पहली भी यूँ ही हुई थी
हमें याद आया मुहब्बत का मंजर
रहा मैं न मैं तुम भी तुम रह सके
ना मिला 'मैं' जो 'तुम' से तो अब हम हुआ है
अभी भी उसी प्यार से देखा
उसने गुलाबी-गुलाबी सा मौसम हुआ है
रुई की तरह बर्फ गिरने लगी वो
मेरे बाजुओं में सिमटने लगे हैं
हुई तेज सांसें बढ़ी धड़कनें भी
हवा सर्द है हम बहकने लगे हैं
पिघलकर हुई बर्फ पानी जमी फिर
बनी बर्फ लेकिन कमी आ गई है
जहाँ रोज मिलते थे हँसकर वहां अब
मिले तो पलक पर नमी आ गई है
जी-भर के रोये हँसे बेतहाशा
कोई बोझ मन का बहुत कम हुआ है
अभी भी उसी प्यार से देखा
उसने गुलाबी-गुलाबी सा मौसम हुआ है।