मेरे ख्वाब
मेरे ख्वाब
अचानक निकल पड़े आज हम
एक अनजान सफ़र पर
बिना कुछ भी सोचे बिना कुछ भी जाने
दूर चले जाना इस शहर के शोर से दूर
तुम्हारे चेहरे की ख़ुशी को
देखना अच्छा लगता है
नदी की लहरों को गिन लेना जब तुम
उसमें एक कंकड़ फेक देती हो
तुम खुश हो जाती हो गाँव को देख के
तुम्हारी चाहत किसी चाय की गुमटी में
चाय पी लेने से ही पूरी हो जाती है
सोचता हूँ कोई इतना आसान कैसे
हो सकता है आजकल के इस जीवन में
जो ज़माने की सभी कठिनाइयों को
बस अपनी मुस्कराहट से दूर कर देती है
जब भी तुम कहती हो चलो न
किसी एकांत सी जगह पे चलते हैम
ऐसा लगता है जैसे किसी ने मेरे मन की
सभी बातों को सुन लिया हो
तुम मेरे लिए खुद को बदल लेना नहीं ये सोचकर
कहीं मुझको तुम्हारी कोई बात बुरी न लग जाए
या कहीं कुछ और बात को अपने दिल में छुपाकर
मेरे साथ खुद का साथ अलग न कर लेना
जानती हो तुम मेरा डर ये नहीं है
कि शायद हम एक न हो पाए
मेरा डर इस बात से होता है
कहीं मैं तुमको खो न दूँ
तुम ये सोच लेती होगी मैं तुम्हारी
हर बात को सही मान लेता हूँ
ऐसा नहीं है तुम कुछ गलत तो
नहीं कहती होगी
लेकिन जानती हो न मैं चाह के भी
तुमसे जुदा नहीं होना चाहता
अपनी किसी गलती के कारण
तुम ये न सोच लेना ये मेरा
पागलपन है तुम्हारे लिए
अक्सर कह देता हूँ तुमसे
मेरी कल्पनाओं से बढ़ कर हो तुम
मेरे ख्वाबों को पूरा सिर्फ करती हो तुम।