रंग तेरे प्यार का
रंग तेरे प्यार का
मौसम का बदलता मिजाज़
नयी रुत का आने का आगाज़
ये सब मिलके उसे बुला रहे हैं
साथ में कुछ गुनगुना रहे हैं
आ जाये बस वो एक बार
ऐसी मन्नतें करते हैं हज़ार
ज़िन्दगी की राह में आगे बढ़ें हम
अगर वो भी साथ में बढ़ाये कदम
उसी के तो रंग में रंगे हुए हैं सब
मेरा तो बस वही एक रंग है अब
उसकी एक मुस्कान पे ज़िन्दगी निसार है
उसके बिना तो सब फीका है सब बेकार है
धड़कता है दिल बस उसी के नाम पे
सजती है हर शाम उसी मकान पे
तुम आ जाओ तो मकान घर बन जाये
बरसों की खुशियाँ हमें भी मिल जायें
हर सांस में आती है उसी की खुशबू
बस उसी को पाने की करते हैं जुस्तजू
हाँ वही मेरा कृष्ण है मैं उसकी राधा
फिर भी उसे पाने में क्यूँ इतनी बाधा