तेरी ये नज़र
तेरी ये नज़र
एक तू और एक तेरी ये नज़र
वक़्त बे-वक़्त ढाती है कहर
बहुत प्यार है मुझे
तेरे इस नकाब से
पर डर भी लगता है
मुझे अपने इस ख्वाब से
क्या करुँ आँखें ही
तो देखी हैं तेरी मैंने
कभी तो अहसान कर
पर्दा हटा अपने शबाब से
तेरी सादगी से प्यार हुआ
मुझे कुछ इस कदर
अपनी तो क्या ज़माने
की भी न रही खबर
डर लगता है कहीं
तू ठुकरा न दे मुझे
क्यूंकि हम तो चाहते हैं
तेरा साथ उम्र भर।