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Avitesh R

Romance

3  

Avitesh R

Romance

फिर सोचा की क्या

फिर सोचा की क्या

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आज सोचा की

कुछ लिख लूँ,

पर फिर सोचा की क्या ?


तेरी मेरी बातें,

तेरा मेरा प्यार,

हर बात पे तेरा इंकार,

वो मेरा रूठना वो तेरा

मानना,

हँसकर मुझसे परेशानी

छुपाना,


आज सोचा की कुछ

सवाल करूँ,

पर फिर सोचा की क्या ?


तुझ से प्यार कितना है,

कह भी न सके 

पर तेरे सबसे क़रीब

रह भी न सके 

सब पता था फिर भी

दूरी सह न सके 

रोई थी जो आँखें उनसे

आँसू बह न सके, 


आज सोचा की कोई

बहाना ले के लड़ ही लूँ

पर फिर सोचा की क्या?


न मिले होते

ख्वाहिशें न होती 

इतनी गहरी वाली

चाहतें न होती 

न होता सुरूर

तुझे पाने का,

और ये शिकायतें

न होती 

मिलती तुझे तो

हाल-ए-दिल

ज़रूर कहती 


आज सोचा की कुछ बोल

ही लूँ तुझ से 

पर फिर सोचा की क्या ?


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