Avitesh R

Others

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मासूम की चीख़

मासूम की चीख़

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छोटी और मासूम गुड़िया थी 

तुम्हारी भी तो मानो बच्ची ही थी 

रहम कर देते तुम उस नादान पर 

ग़लती इस सब में उसकी क्या थी 


क्यों और क्या सोचकर बलात्कार किया 

एक बार भी नहीं सोचा और इतना बुरा किया 

कुचला उस को तुम दरिंदो ने इस तरह 

मौत ने भी जैसे सिसक के कड़वा घूँट पिया


ऊपर वाला भी आज पछताया होगा 

क्यों इन दानवो को इंसान बनाया होगा 

वो माँ भी शर्मसार होगी आज इनपर 

जिसने ऐसे असुरों को दूध पिलाया होगा 


तुम्हारी सज़ा का बस एक नियम बनाया जाये 

काट के हाथ पैर सरे आम लटकाया जाये 

गरम सरिया से तुम्हे जलाते - तड़पाते रहे 

और बच्ची की माँ के हाथो ही तुम्हे मरवाया जाये 



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