STORYMIRROR

प्रेम उल्फत उंस और प्यार..

प्रेम उल्फत उंस और प्यार..

1 min
677


प्रेम, उल्फत, उंस और प्यार..

मोहब्बत के तो चंद शब्द ये चार..

सल्तनत है गिरी कई..

कइयों ने ढाई हार,


इतिहास मुकर्रर है अंकित..

बयाँ कैसे करूँ..

बस लफ्ज़ों में चार।


सोचो सीता की परछाई

से भी था इतना प्यार..

दर दर समंदर..

सेतु बने..लंका पार,


नाइलाज है ये रोग..

कुछ ऐसा है इसका सार,

ढाई अक्षर की जुबाँ..

एक जान और इकरार..


प्रेम, उल्फत, उंस और प्यार..

मोहब्बत के तो चंद शब्द ये चार..

बयां कैसे करूँ..

बस लफ्ज़ों में चार..


बेजुबानों की ज़ुबानी..

गाथा वेदों पुरानी..

कतलेआम जान कही..

धुत मयखानों में जाम कई…


ज़िक्रे-मोहब्ब्त कर लो..

क्यूँ ये इनकार..

रहैमत है ख़ुदा की..

चख तो ले एक बार !


प्रेम, उल्फत, उंस और प्यार..

मोहब्बत के तो चंद शब्द ये चार..

बयाँ कैसे करूँ..

बस लफ्ज़ों में चार।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance