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Asha Pandey 'Taslim'

Romance

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Asha Pandey 'Taslim'

Romance

पहली चुस्की

पहली चुस्की

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तुमरी एक-एक बातें

चाँदी के बुरादे सी वो बातें

घर से निकलते ही 'तुम्हारे'

बिस्तर के रेशों-रेशों से

फूट-फूट कर

दमकने लगती हैं

चमकने लगती हैं

नज़रों के मैगनेटिक खिंचाव से

चुन कर,बुन कर मैं

बटोरते-बटोरते

औंधे पड़ जाती हूँ

नहीं समेट पाती हूँ

उन चमकनों,दमकनों को

निढाल होकर

तुम्हारे ही संग

तुम्हारी यादों की दुनिया में

तुम्हारी दमकीली

चमकीली बातों के

चाँदी बुरादों से लिपटी

पूरी तरह से खो जाती हूँ

सो जाती हूँ

शाम को जब भी आया करो

सवाल मत किया करो

चाय की पहली चुस्की के साथ

मेरे प्रेम का स्वाद पिया करो

रोज़ तुम यही किया करो।


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