" मिलन की प्यास "
" मिलन की प्यास "
कोई गीत
बनाना है मुझको ,
कोई सुर को
सजाना है मुझको ,
तुम आये बरसों
बाद
आंगन को
सजाना है मुझको !!
दूरियां सदा ही
खलती थी ,
ताने सुन -सुनकर
मैं जीती थी !
कुछ और नहीं मुझे
भाता था
जीना दूभर हो
जाता था !!
अब मैं भी
खुशिओं से नाच उठी
नव श्रंगारों ने
रूप दिया है मुझको ,
कोई गीत बनाना है
मुझको
कोई सुर को सजाना है
मुझको
तुम आये बरसों बाद
आंगन को सजाना है मुझको!!
राहों को निहारा ,
करती थी !
मन को समझाया
करती थी !
ऑंसू को ना कभी
बहने दिया ,
व्यथा ह्रदय को ही
सहने दिया ,
अब मैं आज ख़ुशी से
नाच रही ,
कोई रास रचाना है मुझको
कोई गीत
बनाना है मुझको ,
कोई सुर को
सजाना है मुझको ,
तुम आये बरसों बाद
आंगन को
सजाना है मुझको !!