मेरी कहानी फिरसे अधूरी रह गयी
मेरी कहानी फिरसे अधूरी रह गयी
अक्सर एक तरफा प्यार भी मुक्कमल होती है,
बिना कहे जज्बातों को अहमियत मिल जाती है,
न जाने वो कौनसा समा था,
जो मेरे दिल मे दबी बातें कहानियों सा बन
कोरे पन्नों में छपगये थे !
उस रोज मेरे साथ कुछ अच्छा होने लगा था,
मेरे खयाल और मेरी हकीकत का मिलान हो गया था,
जो कभी मेरे सपनों मे आया करती थी,
आज वो मेरे सामने खड़ी थी।
जैसे मेने सोचा था, वेसा ही पाया है,
आखिर उस दिन मुझे एहसास हुआ,
किस्मत का ही सब खेल है,
मेरे दिल की आरज़ू को पूरी करने,
जन्नत से उस खुदा ने नूर-ऐ-हुस्न को भेज है !
तीन दिन का सफर था,
उसपे भी उसने दोस्ती का जाम घोला था,
मेने पूछा आखिर ये सपना है,
या है हकीकत मेरी ज़िंदगी की,
उसने कहा जो है सो है,
ज्यादा सोचोगे तो सोचते रह जाओगे,
और ज़िन्दगी तुम्हारा हात छोड़
वक़्त की बाहें थाम आगे चली जायेगी !!
तीन दिन यूँही म
ुलाकात में गुजर गए,
कभी बातें भी होती थी,
पर वो भी एक दूसरे का हाल
पूछते खत्म हो जाते थे,
नजाने एक डोर बंध चुका था,
दोस्ती से ज्यादा शायद ही कुछ था
आखिर रिश्तों की गहराई मे
अपनी मिठास घोल रहा था।
सफर का अंत यंही घटा,
जाना उसे भी था, जाना मुझे भी था,
कुछ बातें उसकी जुबां तक न आसके,
और कुछ बातें मुझे भी कहना था,
की एक दिल की वो धड़कन थी,
एक शरीर की वो रूह थी,
शायद ही कभी मे उसके लिए
एक खास शख्स बन पाता,
पर वो मेरी पहली मोहब्बत थी !
बात इतनी सी थी, की तुम अच्छी लगती थी,
अब बात इतनी बढ़ गयी कि
तुम्हारे बिना कुछ अच्छा नहीं लगता,
इस एहसास को उसे महसूस करवाना था,
इतने में उसकी ट्रैन आयी,
में वंही वक़्त की कगार
पे ऐसे ही खड़ा रह गया,
और वो वक़्त के साथ ही चली गयी,
और मेरी अधूरी कहानी फिरसे अधूरी रह गयी !