मुझे डर लगता है
मुझे डर लगता है
मैं कोख में थी लोगों ने कहा, बेटी नहीं बेटा चाहिए।
अगर बेटी हुई तो मार देंगे और बेटा हुआ तो प्यार देंगे।
मां मुझे कोख से बाहर मत निकाल क्योंकि मुझे डर लगता है।
सब से लड़ कर दुनिया में लाया, मेरे लिए नया संसार बनाया।
वक्त के साथ बढ़ती रही और आंचल में उनके पलती रही।
स्कूल जाते वक्त मेरे रास्ते में कुछ मनचलों का डेरा था।
जाने की चाह कम हो गयी अब माँ का आँचल ही मेरा था।
पढ़ना भी कहर लगता है क्योंकि मुझे मनचलों से डर लगता है।
मां के अकस्मात मौत हुई , घर मेरा एकदम अकेला है।
यहां पर आसपास दूर दूर तक मनचलों का मेला है ।
खुशियों के घर में अजनबी का अहसास हरदम लगता है।
मुझे ये घर नहीं चाहिए क्योंकि यहां मुझे डर लगता है।
घर छोड़ दिया उस घर को मैंने अब नए घर में आसरा है।
खुद के बल पर खड़ी हूं क्योंकि और कोई नहीं सहारा है।
पता नही था कि यहाँ भी दरिंदों का जगह बड़ा खास है।
बलात्कारियों का नाम सुना था पर वो मेरे आस पास है।
रहती यही हूँ मैं लेकिन अब भी मुझे डर लगता हैं।
एक सुबह खून में लथपथ बेहाल मिलीं थीं मैं और,
मेरी लाश को मेरे ही घर से कुछ लोगों ने निकाला था।
वैसे तो सुना था कि खून से लथपथ तब भी थीं मैं,
जब लोगों ने मुझे माँ की कोख से बाहर निकाला था।
कहाँ जाऊँ बता दो महफूज नहीं अपना घर लगता हैं,
मुझे कोख में ही मार डालो क्योंकि मुझे डर लगता है।