अजनबी
अजनबी
मेरी तन्हाइयों में आ कर
मेरा साथ निभाते हो
मेरे घम के अंधेरे को
रोशन कर जाते हो
छुट चुकी थी जीने की चाह
मुझे फिर से तुम जीना सिखाते हो
ए अजनबी तुम कौन हो जो मुझ को
मुझ ही से मिलाते हो।
मेरी तन्हाइयों में आ कर
मेरा साथ निभाते हो
मेरे घम के अंधेरे को
रोशन कर जाते हो
छुट चुकी थी जीने की चाह
मुझे फिर से तुम जीना सिखाते हो
ए अजनबी तुम कौन हो जो मुझ को
मुझ ही से मिलाते हो।