मेरा बचपन
मेरा बचपन
कभी माटी का घरौंदा बनाते
तो कभी कागज़ की गुड़िया
कभी धूल की रोटी बनाते
तो कभी पत्तो की पुड़िया
कभी मां के दुपट्टे की साड़ी पहनना
तो कभी उनकी सैंडल के लिए ज़िद्द करना
शायद कुछ यूहीं था मेरा बचपन।
हरी- लाल पन्नी में लिपटी मीठी गोलियां
अमरूद और आम वाले की वो छोटी तंग गलियां
कभी अपने पड़ोसी से चवन्नी की शर्त पर लड़ना
तो कभी उसी को दो रूपए वाली चॉकलेट ला कर देना
शायद कुछ यूहीं था मेरा बचपन।
कभी माटि के छोटे कलसी में पानी लाना
कभी बिना आग के चुल्हे में खाना बनाना
कभी चादर की दीवार और चटाई की छत बनाना
कभी सभी बच्चो के साथ उसी घर में सारा दिन बिताना
बस यूंही था मेरा बचपन।