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Shabnam Parveen

Fantasy

4  

Shabnam Parveen

Fantasy

रात भर

रात भर

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आपकी याद आती रही रात भर

शबनमी आंखें मुस्कुराती रही रात भर।


रात भर दर्द का चिराग़ जलता रहा

ग़म की लाॅ थरथरती रही रात भर।


यादो की शमा जलती रही

शमा की रोशनी जगमगाती रही रात भर।


कई लहरें उठती रही 

कई मौजें साहिल से टकराती रही रात भर।


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