मुहब्बत भूल गई मैं
मुहब्बत भूल गई मैं
चाहा था तुझे मुहब्बत से ज्यादा
क़ीमती न था कोई तुझसे ज्यादा
मेरे नाज़ नखरे उठाएं कुछ दिन
बड़े प्यार से पेश आएं कुछ दिन
अब खुश रहने की आदत भूल गई मैं
होती है खुद से मुहब्बत भूल गई मैं
विवाह के नाम पर तुमने सौदा किया
लालच की आग में सब जला दिया
तुझे चैन दिया और व्याकुल हुई मैं
होती है खुद से मुहब्बत भूल गई मैं
तेरे आगे खुद को बिछा दिया मैंने
अपना तन मन भी लुटा दिया मैंने
जाने कब तेरे रास्ते की धूल हुई मैं
होती है खुद से मुहब्बत भूल गई मैं।