मसाले रसोई के
मसाले रसोई के
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सफेद नमक, पीली हल्दी, हरा करीपत्ता
लो आ गई तेजतर्रार लाल मिर्च, जमाने अपनी सत्ता।
उसको देखकर छोटी इलायची, दुम दबाकर भाग खड़ी,
देख सहेली की दुर्दशा लॉन्ग आगे अड़ी।
गोल-गोल नीबू रौब दिखाता आगे बढ़ा, मिर्च का देने साथ,
जावित्री जायफल तेज पात्र भड़के, हम भी कर ले दो- दो हाथ।
धनिया सीना चौड़ा कर, मोर्चा संभालने आ खड़ा।
सारे मसालों ने पल भर में खुद को दो गुटों में बांटा
तू- तू, मैं -मैं करते-करते तैयार हो गया अखाड़ा।
हींग, राई आहिस्ता से खिसके, छोड़कर चूल्हा चौका,
सफेद मिर्च सुबककर बोली "मुझे भी ले चलो भैया, मेरा यहां क्या होगा?"
तभी काली मिर्च में आंख दिखाई, "बड़ी बहन को प्यार दिखाने का मिल रहा है मौका"।
सुनकर इतना शोर शराबा, दरोगा गरम मसाले नींद से जागे,
उठाकर अपना डंडा मसालों के पीछे भागे।
अफरा तफरी मच गई सब तरफ
"भागो भैया शामत आई",
पलक झपकते सब अपने पात्र में दौड़ लगाई,
सौंफ, मिश्री की हंसी छूट गई, अब होगी इनकी पिटाई।
काले जीरे ने फिर सब को अनुभव की नसीहत पिलाई,
"रसोई के हम सब कर्ता-धर्ता,सबका अपना-अपना है महत्व ,
लड़ने से कुछ हासिल ना होगा,एकता में ही है भलाई।