मॉं
मॉं
तू अलौकिक शब्द है अमोघ मंत्र है
तुझसे ही सृष्टि की रचना है मॉं
तू कारीगर है, शिल्पकार है
तुझसे ही जीवन का संचार है मॉं
तू ही पूजा, तू हर तीर्थ है
तुझमें ही समाये चारों धाम है
तू भावना, तू ही संवेदना है
तू शब्द नहीं अहसास है मॉं
तू अतुल्य, अद्वितीय अभिमान है
तू ही मेरी पहचान है मॉं
तू समर्पण है, निष्पक्ष समर्थन है
तू ही मेरा जीवन है मॉं
तपती धूप में छाया है
तू निःस्वार्थ प्रेम की माया है
तूने ही देकर अपनी शीतलता,
बनाया है इंदु मुझे
तू तो वात्सल्य का भण्डार है मॉं
तुझसे ही तो हर बच्चे का संसार है मॉं
तू तो ईश्वर का अनुपम उपहार है मॉं।
