नृत्य
नृत्य
जीवन का अभिन्न अंग है नृत्य
स्वयं का स्वयं से सामंजस्य है नृत्य
मन का मंथन है नृत्य
कुछ करने का अनुराग है नृत्य
आत्म अनुभव का मार्ग है नृत्य
प्रेम,आराधना है नृत्य
सुख, क्रोध है नृत्य
भावनाओं का सार है नृत्य
जीव, प्राणी, प्रकृति का वास है नृत्य
अन्तर्मन की भाषा है नृत्य
भावों की भंगिमा है नृत्य
मुख की हर मुद्रा है नृत्य
सृजन का माध्यम है नृत्य
शिव का ताण्डव है नृत्य
कृष्णा का महारास है नृत्य
नटाधीश नटराज है नृत्य
कला का वरदान है नृत्य
हर थिरकन में है नृत्य
स्वयं से अनुरक्ति है नृत्य।
