STORYMIRROR

Indu Barot

Abstract

3  

Indu Barot

Abstract

नृत्य

नृत्य

1 min
293

जीवन का अभिन्न अंग है नृत्य

स्वयं का स्वयं से सामंजस्य है नृत्य

मन का मंथन है नृत्य

कुछ करने का अनुराग है नृत्य


आत्म अनुभव का मार्ग है नृत्य

प्रेम,आराधना है नृत्य

सुख, क्रोध है नृत्य

भावनाओं का सार है नृत्य


जीव, प्राणी, प्रकृति का वास है नृत्य

अन्तर्मन की भाषा है नृत्य

भावों की भंगिमा है नृत्य

मुख की हर मुद्रा है नृत्य


सृजन का माध्यम है नृत्य

शिव का ताण्डव है नृत्य

कृष्णा का महारास है नृत्य

नटाधीश नटराज है नृत्य


कला का वरदान है नृत्य

हर थिरकन में है नृत्य

स्वयं से अनुरक्ति है नृत्य।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract