प्रिय
प्रिय
कैसे निभेगी यह प्रीत प्रिय ?
तुम कम्प्यूटर प्रेमी हो।
मैं संस्कृत पढने वाली प्रिय।
तुम सीक्वल,डेटा पढते हो
मैं उर्वशी, मेघदूत की पढती प्रिय।
तुम जानो जावा पाइथन
मैं संस्कृत भाषी जानू प्रिय ।
तुम जानो ओरेक्कल,ट्यूनिंग
मैं छंद,अंलकार ही जानू प्रिय।
तुम सुनते अंग्रेज़ी गाने हो
मैं श्लोका में हूँ लीन प्रिय।
तुम इन पुट आउटपुट ही जानो
मैं अंतर्मन पहचानू प्रिय।
तुम जानो सरवर के भावों को
मैं ह्रदय को पढने वाली प्रिय।
तुम जानो अलगोरिदम
मैं मन के अक्षर मानू प्रिय
संस्कृत नहीं, हिंदी ही पढ लो।
फिर बन सकती है बात प्रिय
महादेवी, निराला से मिल लो
फिर निभ जायेगी प्रीत प्रिय
फिर निभ जायेगी प्रीत प्रिय।

