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Sankita Agrawal

Drama Inspirational

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Sankita Agrawal

Drama Inspirational

मॉं - मेरी प्यारी गुरु मॉं

मॉं - मेरी प्यारी गुरु मॉं

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मेरे छोटे से हाथ ने

तुम्हारी अुंगली

क्या पकड़ी

तुमने तो मुझे अपनी

बॉंहों में भीच लिया,

मुझे सीने से लगा

खूब सारा प्यार दिया !


तुम्हारा वो मार्मिक स्पर्श

मेरे हृदय को

पुलकित कर गया था,

दुनिया में आने का अवसर

तुमने ही तो दिया था

मेरी प्यारी मॉं !


मैं कोई नन्ही सी कली सा

जो तुम्हारी जिन्दगी के बाग़ में

खिल गया था,

पर तुम्हारे लिए तो

मैं कोई ख़ुदा का तोहफ़ा

जो तुम्हारी झोली में गिर गया था

मेरी प्यारी मॉं !


तुम ही तो थी

जो मेरे रोने की वजह

को सही आँक लेती थी,

सब कहते, देखो रो रहा है

पर तुम्हें पता होता था

इसे भूख लगी है या प्यास

मेरी प्यारी मॉं !


मेरी गोल मटोल

नीली आँखों ने

तुम्हारी आँखों से ही तो

दुनिया को पहली बार देखा था

मेरी प्यारी मॉं !


तुम मुझे

'मॉं' बोलो..'मॉं' बोलो

कहने की प्रेक्टिस

लगन से कराती

इधर मेरे दिमाग के

घोड़ो की रेस लग जाती !


याद है, मुझे

तुम्हारी आँखों मे

खुशी के आँसू आये थे

जब मॉं कहकर

मैनें तुम्हें पुकारा था,

मेरा पहला शब्द भी

तुमने ही सिखाया था

मेरी गुरू मॉं !


तुम्हारे पीछे

जब मैं घुटनों से

भागता हुआ चला आया था,

तुम्हारी खुशी का कोई

ठिकाना ही नहीं रहा था,

तब तुमने !


जोरों शोरों से मालिश शुरू करी,

मुझे घुटनों से पैरों पर

चलना सिखाया,

मेरे पहले कदम

तुम्हारी ही देन थे

मेरी गुरू मॉं !


मुझे सबसे पहले

ऐ बी सी डी, क ख ग घ ड़

सिखाने वाली भी

तो तुम ही थी

मेरी गुरू मॉं !


मुझे याद है,

स्कूल का वो पहला दिन

जब तुमने मुझे

चॉकलेट का लालच दे कर

पहली बार अपने आप से

दूर किया था !


और मैनें रो रो कर

गंगा-जमुना बहा दी थी,

ना जाने उसके बाद

कितने ही दिन तुमने

स्कूल के बाहर बिताये थे,

मुझे शिक्षा देने वाली

तुम ही थी

मेरी गुरू मॉं !


सबसे अच्छे से बोलो

कभी झूठ मत बोलो

चोरी करना बुरी बात है

तुम अच्छे बच्चे हो ना

सारे रुल्स को फोलो करो,

तुमने ही सारे गुण,

अवगुण से अवगत कराया था

मेरी गुरू मॉं !


ब्रश पकड़ रंगों से मिलवाया

गाने की धुन पर नाचना,

पेड़-पौधों के साथ समय बिताना

शब्दों से कविता, कहानी बनाना,

ना जाने तुमने क्या-क्या नहीं सिखाया

मेरी गुरू मॉं !


मेरे दोस्त तो बहुत बने,

पर तुम मेरी सबसे

अच्छी दोस्त रही

मेरी सारी बातों को

संयम से सुनती !


मैं रुठता तो

प्यार से मनाती,

दोस्ती का असल पाठ

तो तुमने ही मुझे पढ़ाया

मेरी गुरू मॉं !


जब मैनें देश के प्रति

अपना प्रेम जताया

तुमने मेरा हाथ थाम

मुझे आगे बढ़ाया !


आज जब मैं

देश की सरहद

पर खड़ा,

देश की रक्षा

में समर्पित हूँ !


बस

तुझे गर्व

महसूस कराना

चाहता हूँ

मेरी गुरू मॉं, मेरी प्यारी मॉं !


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