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Rahul Singh

Romance

4.2  

Rahul Singh

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

1 min
414


जाने क्या नशा है

इस मोहब्बत में, बयान नहीं किया जाता

अल्फाज कम पड़ जाते हैं


वह मेरी जिस्म में है रूह बन के

आंखों का नूर कहूं उसे

या फिर कोहिनूर कहू उसे

मेरी हृदय में शामिल में धड़कन बनकर

हर सांस में शामिल है श्वास बनकर 


मेरी प्यारी संगिनी है वह

मेरी प्यारी बीवी है वह

वही जन्नत, वही हसरत

वही बरकत, वही मन्नत

उसके बिन लगता अधूरा यह जहां है


कदम से कदम मिला जाती है वह

जाम आंखों सेे पिला जाती है वह

रंग मोहब्बत के दिल में भर जाती है वह


वह मेरे संग है परछाई की तरह

हर मोड़ पर साथ है सच्चेेे हमसफर की तरह

बस और क्या कहूंं, यही कहूंगा कि भगवान से

मिली सबसे अनमोल तोहफा है वह।


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