सावन
सावन
वह सावन की बारिश
वह सावन की रिमझिम
है मेरे लिए जैसे खुशियों के मेला
काली घटाएं बरखा बन के छायें
जी ललचायें, बस रहा न जाएं
जी चाहें जैसे बस बरसे जाएँ, बरसे जाएँ
आज जब बरसे मेघ रे
तन मन भीग गया रे
बस इस असमंजस में हूँ
की वह सावन की बूँदें थी
या फिर मेरा प्यार
जब मौसम ने ली अंगड़ाई
खेतों में फसलें लहराई
जब बारिश ने मुखरा चूमा
महक उठी पुरवाई
सावन की बूँदें अनेक जीवों की प्यास बुझा जाती है
जीवो को नया जीवन दे जाती है
तन के गर्मी को हर के शीतलता का अनुभव करा जाती है
खेतों को हरियाली का उपहार दे जाती है
बस ऐसा ही है ये यह सावन का महीना
सावन का ये महीना मन को लुभाएं
है गुज़ारिश मेरी
हर दिन बस सावन आये
बस हर रोज सावन आये
और ऐसे ही नित नए उपहार लाएं
हर दिन बस सावन आये
बस हर रोज सावन आये।
