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Deepak Meena

Romance

3  

Deepak Meena

Romance

मोहब्बत के निशाँ

मोहब्बत के निशाँ

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दिल के आशियाने में

मोहब्बत के निशाँ बाकी हैं

किसी कोने में दफन सीने के

मेरे कुछ अरमाँ बाकी हैं

तुझे इत्तफाक ना हो मोहब्बत से

पर मेरे दिल में जज़्बात बाकी हैं


माना वो दौर गुज़र गया 

जब मुझको तेरी चाहत थी 

तेरे चांद से चेहरे के 

दीदार की मुझको आदत थी

पर आज भी तेरी गलियों में

मेरे कदमों के निशाँ बाकी हैं

तुझे इत्तफाक ना हो मोहब्बत से

पर मेरे दिल में ज़ज्बात बाकी हैं 


बता बंदिश रिवाजों की 

मुंह क्यूँ तुमने मोड़ लिया

बन कर पत्थर दिल तुमने

प्यार भरा दिल तोड़ दिया 

होंगे शिकवे तुम्हें बहुत

सवाल मेरे भी बाकी हैं 

तुझे इत्तफाक ना हो मोहब्बत से

मेरे दिल में जज़्बात बाकी हैं 

 


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