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मनुष्य

मनुष्य

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अँधियारा सूनेपन का, मन हो भयभीत

नाम जपा श्री राम का, मन हो प्रफुल्लित


संघर्ष इस जीवन का, बोझ उठा न पाए

साहूकार की दुनिया में, गरीब जी न पाए


अपराध की इस नगरी में, होते मतलब अनेक

हाल चाल कोई पूछ ले, ढूंढते मतलब एक


जात-पात की बातों में, मशगूल हुआ युवान

ज्ञान-विज्ञान की बातों से, दूर खड़ा युवान


जूझ रहा था एक संत, गंगा को बनाने पाक,

याद किया उस संत को, जब हो गया वो राख


गीता बाइबल और क़ुरान ने, आपस में किया संवाद

मनुष्य जीव है एक समान, फ़िर क्यों हो रहा विवाद।।


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