मन वनवासी
मन वनवासी
मन तो चला गया तेरे संग
तन का नाम उदासी है
निपट गया अब रास रंग
हर पल जीवन वनवासी है
नेंह छेंह की डोर टूट कर
राग द्वेष की डगर छोड़कर
दिए की मद्धिम बाती है
दुःख अब जीवन साथी है
अब क्या गोकुल और क्या मथुरा
क्या वृन्दावन काशी है
मन तो चला गया तेरे संग
तन का नाम उदासी है
सूरज छांट ना पाय अन्धेरा
काली रात है डारे डेरा
अपना है क्या सब है तेरा
जन्म जन्म का यही है फेरा।
