मन की बात
मन की बात
करके बगावत अपनो से
घर बार मैंने छोड़ा है।
एक तेरे खातिर ओ सनम
मुँह सबसे मैंने मोड़ा है।
करके इश्क़ बेशूमार तुमसे
कइयों का दिल मैंने तोड़ा है।
दर्द को दर्द से खूब निचोड़ा
तब जाकर किया मैंने थोड़ा है।
खुद को भी गुमराह करके
जाने किस राह पर अब मैंने छोड़ा है।