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मझधार में तन्हा

मझधार में तन्हा

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वो अभी तक आये नहीं,

इंतज़ार की घड़ियां,

खत्म होने को आ गई।

कहते थे दिल का गहरा,

नाता है तुमसे।

पता चला आज मुझे,

करते थे झूठे वादे मुझसे।

भरोसा करूं किस पे,

जब अपनों ने दिल तोड़ा हो।

मझधार में तन्हा,

करके छोड़ा हो।

समझा लिया होता,

अगर नादान दिल को,

जो मुझमें ही रहकर

मेरी सुनता नहीं।

सम्भाल लिया होता,

मैंने अपने दिल को,

तन्हा तो रहता,

मगर आवारा नही।


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