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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

मित्र अपना

मित्र अपना

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दुनिया में मित्र अपना

अब तो हुआ सपना

जितना तू ऊंचा गया,

टूटता गया उतना तना


पहले यूँ ही मिल जाता,

अब हुआ महंगा चना

दुनिया में मित्र अपना

अब तो हुआ सपना


तू इतना जल्दी बदला

जैसे देखा कोई सपना

आंखों का आंसू अब,

पराया हुआ अपना


तुझे शोहरत क्या मिली,

भूला तू दोस्ताना अपना

दुनिया में मित्र अपना

अब तो हुआ सपना


हम इंतजार करते रहे,

तू चला गया दूर घणा

दुनिया की भीड़ में,

खो गया मित्र अपना


दिखावे के चक्कर में,

पराया हुआ मित्र अपना

दुनिया में मित्र अपना

अब तो हुआ सपना


आ लौट आजा, मित्र,

छोड़ दिखावे का गधा

वही फिर से रोयेंगे

वहीं फिर से हँसेंगे

जिस जगह बिताया,

मित्र बचपन अपना



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