महफ़िल
महफ़िल
सजी हुई है महफ़िल यारों की
संग खंजर छुपाए बैठे हैं
नशा चढ़ा है अहम का इतना
मासूम, जाम बनाए बैठे हैं
आओ-आओ जल्दी आओ
सब हाल पूछने बैठे हैं
हैसियत के चर्चे करते
जैसे खिल्ली उड़ाए बैठे हैं
बहुत दिनों के बाद मिले हो
सब गले लगाए बैठे हैं
तरक्की पर शाबाशी देते
सिगार सुलगाए बैठे हैं
अब पहले जैसी बात कहां ?
सब चिंतित होकर बैठे हैं
दूसरों का मिलाप देखकर
वो भीतर कुढ़कर बैठे हैं
हमें किसी से, मतलब नहीं
सब संन्यासी बनकर बैठे हैं
महफ़िल में आए ये लोग
यहां चटकारे लेने बैठे हैं।
