महोब्बत नई-नई
महोब्बत नई-नई
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कैसी उठी है दिल में, शरारत नई-नई
दिल चाहता है अब करना, मुहोब्बत नई-नई !
हो दिल से निकली हर बात, जो सुने कोई दिल से,
दिल चाहता है अब करना, इबादत नई-नई !
उसके चहरे की अलकों में, छिपा हो कोई नग्मा,
पढ़ ले जिसे कोई, तो आए क़यामत नई-नई !
मुक्कदर में मेरे, लिखी है खुशियाँ तुझसे ही,
शायद खुदा की है तू कोई रहमत नई-नई !