STORYMIRROR

Aakash Shah

Abstract

4  

Aakash Shah

Abstract

जरा कह दो

जरा कह दो

1 min
539

मुश्किलें जरुर है, मगर ठहरा नही हूं मैं

मंज़िल से जरा कह दो, अभी पहुंचा नही हूं मैं


कदमों को बांध न पाएंगी, मुसीबत कि जंजीरें,

रास्तों से जरा कह दो, अभी भटका नही हूं मैं


सब्र का बांध टूटेगा, तो फ़ना कर के रख दूंगा,

दुश्मन से जरा कह दो, अभी गरजा नही हूं मैं


दिल में छुपा के रखी है, लड़कपन कि चाहतें,

मोहब्बत से जरा कह दो, अभी बदला नही हूं मैं


साथ चलता है, दुआओं का काफिला

किस्मत से जरा कह दो, अभी तन्हा नही हूं मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract