महिलादिवस पर विशेषनारी-नर
महिलादिवस पर विशेषनारी-नर
भेदभाव यह नर नारी का
होगा जब इस जग से दूर
तब होगा इस धरा पर स्वर्ग
ना होगा दायित्व नारी का चूल्हा चौका
ना होगा उत्तरदायी नर बाहय कार्यों का
बस होगा जिम्मा नर नारी का
सहकार्य व परस्पर संबंधों का
ना नारी ढूंढेंगी पुरुष का कंधा
ना नर देगा पुरुषत्व बल का
बल्कि होगा अस्तित्व दोनों का कंधे से कंधा
जब यह सोच परस्पर की होगी
तब इस वसुंधरा पर होगा
गुलमर्ग इस वसुंधरा पर
तब ना जरूरी होगा आयोजन महिला दिवस का
बल्कि आयोजन तब होगा हर दिन सह दिवस का ।
