महफ़िल की तन्हाई
महफ़िल की तन्हाई
हजारो बार ठोकरे खाई है
तभी ये समझ आयी है
मायाजाल की इस दुनिया की
महफ़िल में भी तन्हाई है
मिलते है लोग यहाँ
बिछड़ने को
खिलते है फूल यहाँ
मुरझाने को
यहाँ हर मज़र के आगे
एक नई खाई है
मायाजाल की इस दुनिया की
महफ़िल में भी तन्हाई है