STORYMIRROR

Nirav Rajani "शाद"

Romance

4.5  

Nirav Rajani "शाद"

Romance

महबूबा

महबूबा

1 min
469


बिना वस्ल के कहा चल दिये महबूबा

मुझे तड़पता हुआ छोड़,

कहा चल दिये महबूबा।


तू रुठी तो लगे

सारा जग रूठा महबूबा

कभी तो मुसलसल

दीद करा जा महबूबा।


ना कर तू मेरा इतना

मुरव्वत भी महबूबा

कि हर मुरव्वत भी

दूसरों का लगे पराया महबूबा।


शाद तेरे बिन अधूरा है ए महबूबा

कभी तो कमी पूरी कर जा ए अरीबा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance