कब तुजे पाऊं मैं ?
कब तुजे पाऊं मैं ?
हर वक्त अब बस यही धुन है कब तुझे पाऊँ मैं ?
इस फरेबी दुनिया में बिन तेरे अब कहाँ जाऊं मैं ?
हर हर्फ़ मेरा जो महव-ए-दुआ होता था कल तक,
उसी हर्फ़ को आज शिकवे में कहां से लाऊँ मैं ?
बात-बात पे रूठा न करो हबीब हो आप मेरे,
वादा एक तोड़ने से गुन्हेगार क्यों हो जाऊं मैं?
बिन तेरे अधूरा है आलम इस "शाद" का ए खुदा,
जुनून-ए-इश्क में तेरी ख़िदमत अब कैसे पाऊँ मैं ?