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Nirav Rajani "शाद"

Romance

5.0  

Nirav Rajani "शाद"

Romance

ज़ीनत-ए-अंजुमन

ज़ीनत-ए-अंजुमन

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कभी तो मेरी ज़ीनत में आ

ए मेरी ज़ीनत-ए-अंजुमन।


तेरी फ़क़त को तरस रही मेरी ज़ीनत

मेरी एहतियाज करे तुझे नमन।


मुस्तक़िल हो रही है तेरी पुर्सीश

अब तो आ ही जा करके भी तू तौहीन ए अमन।


आफरीन है "शाद" तुझपे ए ख़्वाबिदा

होकर तुझको मुंतजिर कर लूंगा मैं ज़्क़त-ए-अलम।


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