मेरी सोनचिरैया
मेरी सोनचिरैया
मेरी सोनचिरैया
मेरे अंगना फिर आना रे.....
वो सारी लोरियाँ जो
सुलाते तुमको सुनाई
वो सारी कहानियाँ सुन
जिन्हें तुम खिलखिलाई
उन्हें फिर मुझसे सुनने
मेरे अँगना फिर आना रे....
वो सब गुड्डे - गुड़िया
तुम संग जिनके खेली
वो छोटे - छोटे बर्तन
जिनसे खाना-खेल खेली
उनसे खेलने - बतियाने
मेरे अंगना फिर आना रे......
बाबुल की डाँट में तो
बस प्यार ही छिपा था
प्यार तुम्हारा बाबुल की
कड़ी हिम्मत बना था
उदास बाबुल को धीर बँधाने
मेरे अंगना फिर आना रे......
भाई तुम्हारा कब से
कोने में छिपा खड़ा है
आँसू न देख ले कोई
जबरदस्ती हँस रहा है
उस नटखट को गुदगुदाने
मेरे अँगना फिर आना रे......
सुख-दुख के आँसू कितने
संग-संग हमने बहाए
हँसी और ठहाकों में
जाने कितने पल बिताए
वैसे ही मस्ती में खिलखिलाने
मेरे अँगना फिर आना रे......
कितने गीत जिंदगी के
राहों में संग गुनगुनाए
कितनी बार रूठे सब
चाय पीकर मुस्कुराए
उन सब पलों को जीने संग
मेरे अंगना फिर आना रे.......
वहाँ सासरे में भी तो
तुम्हें एक माँ मिलेगी
उनके प्यार से मेरी
तुम्हें कमी न खलेगी
कुछ भी हो लेकिन तुम
मुझे भूल न जाना रे.......
मेरा क्या, मैं तेरे बिन
यादों में यूँ ही रह लूँगी
अपने मन की बता
अब मैं किससे कहूँगी
मेरी बिटिया, सहेली मेरी
मुझे आ के बता जाना रे.....
मेरी सोन चिरैया
ओ नन्ही गौरैया
मेरे अंगना फिर आना रे।।
