जोड़ियाँ
जोड़ियाँ
कहते हैं
बनती हैं जोड़ियाँ
ईश्वर के यहाँ
आती तभी
धरती पर
पति-पत्नी के रूप में..!
ईश्वर के
वरदान सदृश
बंधे हैं जब
इस रिश्ते में
तो आओ आज
कुछ अनुबंध कर लें.!
जैसे हैं
बस वैसे ही
अपना कर
एक-दूजे को
साथ चलते रहने का
मन से प्रबंध कर लें..!
अपने “ मैं” को
हम में मिला कर
पूरक बनने का
दृढ़ संबंध कर लें.!
पति-पत्नी के साथ ही
आओ
कुछ रंग
बचपन के
कुछ दोस्ती के।
कुछ जाने से
कुछ अनजाने से
आँचल में भर कर
इस प्यारे से रिश्ते को
और प्यारा कर लें.!
