सुनो मीत!
सुनो मीत!
सुनो !
मीत मेरे !
आज बँधने जा रहे
एक पवित्र रिश्ते में हम
लेंगे सभी
अपनों, परिचितों
मित्रों के मध्य
अग्नि को साक्षी।
मान कर सात फेरे
और लेंगे साथ ही
सात वचन भी,
पर उन सात
वचनों का विधान
हम स्वयं तय करेंगे।
पंडित के बोले
मंत्रों के बीच
अपने बचन
हम स्वयं बोलेंगे।
अपना लिखा विधान
अपने बोले वचन
अपने बनाये नियम
जब सभी के समक्ष।
अपनी यात्रा का शुभारंभ
हमारे साथ करेंगे
वो हमें
अपने इस
रिश्ते के प्रति
अधिक संवेदनशील।
अधिक निष्ठावान बनायेंगे
तब देखना
हमारे ये वचन
पथ के आलोक स्तंभ।
बन जायेंगे
हमारे साथ
दूजों को भी
पथ दिखायेंगे,
तो चलो अपने परिणय के
वचनों का विधान
स्वयं लिखे।
