नारी
नारी
गहना
लाज-शर्म का
ओ नारी!
उतना ही पहनना
जहाँ तक
तेरे तार मन के न टूटे
उठे आँख कोई
बुरी तेरी ओर जो
बनना तू काली!
कोई राक्षस न छूटे
बहुत चुप रही तू
पर अब बोलना है
बँधे पंख तेरे जो
उन्हें खोलना है
चल, कर रास्ता तय
जो तूने चुना है
साहस तेरा ईश
यह तो सुना है।