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Bharti Bourai

Romance

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Bharti Bourai

Romance

अटका है

अटका है

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मेरी 

प्रियतमा !

कहना चाहता हूँ 

आज तुम्हें 

अपने हृदय की बात।


सुनो !

आज भी 

मुझे याद है 

पहला करवाचौथ।


जब हम 

यात्रा के मध्य थे,

स्टेशन पर 

रेल से उतर कर 

चाँद को 

अर्ध्य दिया था तुमने !


वो सादगी भरा 

मोहक रूप 

पहले करवाचौथ का 

आज भी 

मेरी आँखों में 

वैसा ही बसा है !


मेरा हृदय 

सच कहूँ तो 

आज भी वहीं 

करवाचौथ के 

चाँद के साथ।

 

तुम्हारी 

उसी भोली सी 

सादगी पर अटका 

स्टेशन पर 

अब भी वहीं खड़ा है !


सुन 

रही हो न 

तुम मेरी प्रियतमा !


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