देश मेरे
देश मेरे
जियूँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
कुछ ऋण तुम्हारा
उतार सकूँ
सोचूँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
जीवन में तुम्हें
उतार सकूँ
गाऊँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
गीतों में तुम्हें
गुनगुना सकूँ
लिखूं
कुछ इस तरह
देश मेरे
शब्दों में तुम्हें
बाँध सकूँ
उड़ूँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
तिरंगा अपना
लहरा सकूँ
देखूँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
हरदम तुम्हें
हिय में बसा सकूँ
मरुँ
कुछ इस तरह
देश मेरे
मिट्टी में मिल
तुझ में समा सकूँ।
मैं रोऊँ-गाऊँ
कुछ भी करूँ
देश मेरे
जब चाहूँ तुम को
बुला सकूँ।
