मेरी रूह
मेरी रूह
सजाना चाहा था
हमने जिसे माँग में
सिंदूर की तरह ,
बसाया था हमने
उसे दिल में
कोहिनूर की तरह ,
मोहब्बत का वो
आँखों में मेरी
दिखा के सब्जबाग ,
खँजर बगैर ही
आज मेरी रूह को
कत्ल कर गया !!
सजाना चाहा था
हमने जिसे माँग में
सिंदूर की तरह ,
बसाया था हमने
उसे दिल में
कोहिनूर की तरह ,
मोहब्बत का वो
आँखों में मेरी
दिखा के सब्जबाग ,
खँजर बगैर ही
आज मेरी रूह को
कत्ल कर गया !!